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नीतीश कुमार उठाएंगे बड़ा कदम, पशुपति पारस ने दिया इशारा

सत्य खबर/ नई दिल्ली:

खरमास खत्म होने के बाद बिहार की राजनीति में एक बार फिर अटकलों का दौर शुरू हो गया है. बिहार के मुख्यमंत्री और जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार को लेकर बिहार में एक बार फिर चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया है. हाल ही में नीतीश कुमार ने विपक्षी दलों के गठबंधन भारत के संयोजक पद के ऑफर को ठुकरा दिया था. अब केंद्रीय मंत्री और राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी के अध्यक्ष पशुपति कुमार पारस ने नीतीश कुमार को लेकर बड़ा बयान दिया है. उनका कहना है कि जनवरी के अंत तक नीतीश कुमार की जेडीयू एनडीए में वापसी कर सकती है.

वैसे भी इन दिनों बिहार में जेडीयू और राजद के रिश्तों में तनाव चल रहा है. बताया जाता है कि नीतीश कुमार कई कारणों से राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव से नाराज हैं। हालांकि, नीतीश कुमार राजनीति के माहिर खिलाड़ी माने जाते हैं और वह इस मुद्दे पर खुलकर कुछ नहीं बोल रहे हैं. ऐसे में पशुपति पारस का बयान राजनीतिक लिहाज से काफी अहम माना जा रहा है. अभी दो दिन पहले ही बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने भी बिहार में बड़े बदलाव के संकेत दिए थे और कहा था कि जो भी होगा राज्य के हित में होगा.

माह के अंत में कोई बड़ा विस्फोट हो सकता है

पटना में पत्रकारों से बात करते हुए पारस ने कहा कि खरमास खत्म होने के बाद अब सही समय का इंतजार है. महीने के अंत में जो भी होगा, वह बिहार के लिए बहुत अच्छा होगा. उन्होंने कहा कि मनुष्य बलवान नहीं है बल्कि समय बलवान है। इस समय नीतीश कुमार काफी असमंजस में हैं, लेकिन वह जो फैसला लेंगे वह राज्य के लिए अच्छा साबित होगा. उन्होंने कहा कि जनवरी के अंत में नीतीश कुमार कोई बड़ा कदम उठा सकते हैं. ऐसे में हम सभी को इंतजार करना चाहिए.

उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार की एनडीए में वापसी के बाद भारत में विपक्षी दलों का गठबंधन पूरी तरह से बिखर जाएगा. वैसे यह पहली बार नहीं है जब पशुपति पारस ने नीतीश कुमार को लेकर कोई बड़ा बयान दिया हो. पिछले साल सितंबर में भी उन्होंने नीतीश कुमार की एनडीए में वापसी के संकेत दिए थे और कहा था कि अगर नीतीश कुमार एनडीए में वापस आते हैं तो उनका स्वागत है.

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भारत गठबंधन एनडीए को चुनौती नहीं दे पाएगा

उन्होंने कहा कि विपक्षी दलों ने गठबंधन जरूर किया है लेकिन उनके पास प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कद का कोई नेता नहीं है. भारतीय गठबंधन में ऐसा कोई नेता नहीं है जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चुनौती दे सके. उन्होंने कहा कि भारतीय गठबंधन में 28 पार्टियां शामिल हैं और सीट बंटवारे के मुद्दे पर सभी पार्टियों के नेता चुप्पी साधे हुए हैं. वे इस मुद्दे पर खुलकर कुछ भी कहने से कतरा रहे हैं. ऐसे में भारत गठबंधन बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए को कैसे चुनौती दे सकता है?

नीतीश कुमार कई कारणों से नाराज हैं

राजनीतिक जानकारों का मानना है कि नीतीश कुमार ने एनडीए में वापसी को लेकर जो बयान दिया है, उसे पूरी तरह से बेदम नहीं माना जा सकता. दरअसल, नीतीश कुमार विपक्षी गठबंधन की चुनावी तैयारियों और सीट बंटवारे में हो रही देरी से नाराज बताए जा रहे हैं. हाल ही में इंडिया अलायंस की वर्चुअल मीटिंग के दौरान उन्हें संयोजक बनाने का प्रस्ताव रखा गया था, लेकिन उन्होंने इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया.

दरअसल, इस मुद्दे पर टीएमसी नेता ममता बनर्जी की असहमति को नीतीश की नाराजगी की वजह माना जा रहा है. इसके साथ ही वह अंदर ही अंदर राजद के रवैये को लेकर भी नाराज हैं. ऐसे में अगर वह कोई बड़ा फैसला ले लें तो किसी को आश्चर्य नहीं होना चाहिए.

बड़े बदलावों को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म है

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मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अगस्त 2022 में एनडीए से अलग हो गए थे। उन्होंने राजद, कांग्रेस और वाम दलों के समर्थन से बिहार में सरकार बनाई थी। इस बीच राज्य के सियासी गलियारों में कई दिनों से बड़े बदलाव की अटकलों का बाजार गर्म है.

पिछले महीने के अंत में नीतीश कुमार ने राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह को जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से हटा दिया था और खुद पार्टी की कमान संभाल ली थी. नीतीश कुमार के इस कदम के पीछे ललन सिंह की राजद से नजदीकी भी एक बड़ी वजह मानी गई.

बिहार में चल रहे इस सियासी घमासान के कारण हाल ही में राजद नेता और डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने अपनी विदेश यात्रा स्थगित कर दी थी. अब पशुपति पारस के बयान ने एक बार फिर बिहार का सियासी पारा बढ़ा दिया है. अब सबकी नजरें नीतीश कुमार के अगले राजनीतिक कदम पर हैं.

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